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|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
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|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
उण सूं हो
नेह रो रिस्तो
सौ टका साच
पण
बात-बात पर देवणी पड़ती
सफाई
इण सूं आयगी रिस्तै माथै
लूंठी आंच
नेह मांय रेत
फेरूं कियां जींवतो रैवै
रिस्तै मांय हेत
आज रै इण जुग मांय
रिस्ता मांय पड़गी रेत
जीवण मांय घर करै-
नेह रो अकाळ।

</poem>
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