762 bytes added,
10:16, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|अनुवादक=
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
गांव रै हर खेत मांय
सरणाटो
नीं कोई मिनख
नीं कोई जिनावर
इयां लखावतो
खुसी देवणियो खेत
हुयग्यो रेत
उकळती रेत
आग उगळती रेत
जीवण रो अरथ बदळग्यो
देखतां ई ठाह पड़ी
अेक बार फेरूं
अकाळ आयग्यो।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader