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12:10, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
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<poem>
अबखाई !
आ कांई हुवै भाई
पराई पीड़ नै अंगेजणो
उणरै सागै सागो करणो
जे अबखाई है
तो मंजूर
आं अबखायां साम्हीं तणसा
जद इज तो
मिनख बणसां
अबखाई सूं बचणो सौरो
मिनख बणणो दौरो।
</poem>
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