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12:17, 28 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
रात अंधारी
काळी -पीळी आंधी
दूर-दूर तांई सरणाटो
केई बार देखां
पण घर मांय सूं
उण अंधारी रात मांय
बो जागै अेकलो
म्हारो दिवलो
बाती बुझ जावै
पण बो
आंधी साम्हीं खड़ो रैवै
गीत उजाळै रा गावै
जीवण री नूंवी
सीख बतावै ।
</poem>
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