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{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
आज फेरूं दिखाय दियो
बै आपरो रंग
रिस्तै माथै भारी हुयग्या पईसा
मांड लीनी जंग
भूलग्यो कै बां इज
आंगळी पकड़ चालणो सिखायो
पईसां रो पा ‘ढो पढायो
उणी पईसा खातर
खेत नपवायो
मकान तुडवायो
रिस्तो रो नूंवो पाठ
बाबोसा नै पढायो।

</poem>
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