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टाबर - 5 / दीनदयाल शर्मा

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|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
}}
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<poem>
टाबर सूं
कोई
क्यूं नीं
करै बात

स्यात
इण कारण
कै
टाबर री
हरेक बात में
हुवै सुवाल।
</poem>
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