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सै'र / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
बस जातरा रै टैम
बेटै
बूढी मा सूं पूछ्यौ

कै
मा
तैं इत्ती उमर लेली
तन्नै दीखै भी नीं
सुणै भी नीं
फेर भी
तन्नै
कियां ठा लागज्यै
कै
सै'र आवणआळौ है

मा
कांपती सी
अवाज में बोली
सूंघण री सगती
आभी ठीक ठाक है
बदबू रौ
भभकौ
जद
टकरावै नाक सूं

तद
भांप ल्यूं
कै
सै'र आवणआळौ है।
</poem>
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