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03:03, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>
कोइलौ
जिसौ बारै सूं हुवै
बिसौई मांय सूं हुवै
फेर भी
बौ
दूजां खातर
बळै
पण
मिनख रौ
पतौई नीं चालै
कै
बौ
राजी है
कै जळै।
</poem>
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