615 bytes added,
06:36, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थूं
जिण दिन
सोच लियौ
कै थूं जाणै
सो' कीं
उणी दिन
हुज्यासी
थारै खातमै री
सरूआत
पण
थूं
करम रै
बदळाव सारू
ना मारी
आपरै
मन री इच्छ्या।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader