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06:37, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
म्हूं
कांईं जाणूं
स्यात
कीं' नीं
पण म्हूं
सीखणौ चावूं
भौत कुछ
अर
आखी जिनगी
सीखतौ रैवूं
कीं' सीख'र
सेलिबे्रटी बणनौ चावूं
दुनिया रौ
आ'इज है
म्हारै
मन री इच्छ्या।
</poem>
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