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10:35, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
आखर-आखर जुड़’र
बणै सबद
अर सबद-सबद जुड़’र
बणै बात
बातां रौ
कित्तौ हुवै असर
बातां रुवावै
बातां हँसावै
बातां प्रीत जगावै।
</poem>
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