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11:15, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
काळीबंगा रा थेहड़
बतावै
कै
कदी अठै
मिनख बसता
पण प्रकृति री माया
सगळां री
माटी हुयगी काया।
</poem>
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