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कागला / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
कागला

पैली
घरां री छतां माथै
कागला आंवता
तद आपां
कागला उडांती टैम कैंवता
कै बटाऊ आयसी

अबै कागला आणां
बंद हुयग्या
अर
बटाऊ आणां हुयग्या कम

अर जे बटाऊ आज्यै
तद
आंवतांईं चल्या जावै

लागै
आण-जाण रा
साधन बधग्या
का पछै
अपणायत घटगी दीसै।

</poem>
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