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11:39, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
पाखियां सारू
पळींडौ
बणा तो दियौ
छात माथै
पण
पाखी आज भी तरसै
पाणी सारू
पाखी
किण नै द्यै औळमौ
घर रा
सगळा उळझ्योड़ा है
आप-आप रै
काम में।
</poem>
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