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प्रकृति : अेक / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
भांत-भंतीली
रंग-रंगीली
तितल्यां में
कुण भरै रंग

भांत-भांत रा
सौरमआळा फूलां में
कुण भरै सौरम
सतरंगियै नै
कुण सजावै आभै में

प्रकृति
थूं किंयां चालै
थारौ कुण है पालनहार

घणाई ऊकळै सुवाल
म्हारै काळजै में
थूं बता प्रकृति
थारी माया।

</poem>
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