913 bytes added,
11:18, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
लोखंड री पेटी में
अेक ग्रीस रो डब्बो
अेक पंप
अेक पेचकस
दो-चार चाबी-पाना
अर बोदो कपड़ो,
फगत इत्ती जिनसां है-
म्हारै प्रतिष्ठान में।
लांबी-चवड़ी सड़क
अर उण माथै बगता साधन
म्हारी उम्मीद।
धन्धो चालैला
उण बगत तांई
जद तांई चालैला-
म्हारा हाथ-पग
सूंवां-साबता।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader