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11:19, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
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<poem>
कैड़ी बात करो?
गाडी रै हेठै बड़'र
ग्रीस करतां
क्यां'रो डर!
डाढ़ो लागै डर
जद गाड्यां
सीधी टिप जावै
थम्यां बिना
म्हारै सार कर।
</poem>
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