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11:42, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
कदी पटड़ै बगतां
सावळ सुणजो
गूंगी कोनी नहर
सुर-ताल जाणै।
गावै गीत
मनभावणां
भोरांन-भोर परभाती
सिंझ्या आरती
रात नैं हरजस
आपां भलांई भूलग्या
पण नहर रै काळजै तो
अजै ई गूंजै-
आदिम लय-राग।
चिड़ी-कमेड़ी
सांभै साज
डेडर-मछलियां
निभावै
टेरिया रो फरज।
</poem>
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