614 bytes added,
11:43, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आभै मुळकतो चमकतो चांद
घूमर घालतो बायरो
टिमटिमावता तारां
चकारा भरती कोचरी
सरसंू री सौरम
कस्सी मोढै लियां करसो,
नहर रै तो
आं री ई बस्ती है।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader