Changes

सागै सारू / मदन गोपाल लढ़ा

637 bytes added, 11:48, 9 जुलाई 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सागै सारू
फगत दो मारग है।

पैलो
कै आप खाथा पगां
चाल'र नावड़ लेवो
आगै जावणियां नैं
का पछै
थावस सूं उडीको-
कै कदास
कोई लारै सूं
आय पूगै
आपरै सागै सारू।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits