618 bytes added,
11:53, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बै मिनख हा
जका अबखाई में
सागो छोड़़ग्या।
रिंदरोही में
कोनी फोरी पूठ
दरखतां
बायरो अर
ओळूं
ठेठ तांई
सागै रैय'र
निभायो धरम
छेकड़ली सांस तांई!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader