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|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
भग्गू वाळो कुओ
भगत सिंघ चौक
पुराणो बजार
लेण पार
नांव कोनी फगत
जागावां रा
ओळखांण करावै
जींवतै सहर री सांवठी संस्कृति री।

बियां बतावणै नैं कीं कोनी
थर्मल, फार्म अर छावनी टाळ'र
खास अर न्यारो-निकेवळो
जिण माथै गीरबो करीज सकै
का किणी बटाऊ नैं
घुमावणै सारू लेय'र जाय सकां
पण बरत्यां पड़ै ठाह
आं छोटा घरां में
रैवणियां रै
मोटै काळजां रो।
</poem>
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