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कै उणरो पाणी
पीवण जोगो ई नीं रैवै।
परसेवै सूं हळाडोब
बा लुगाई ई बचा सकै
धरती नैं आखै संकटां सूं
जकी तुरपाई कर रैयी है
आपरै घर रै आंगणै।
तुरपाई करती लुगाई
जीवण रै पख में
अेक लूंठो सत्याग्रह है।
</poem>
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