485 bytes added,
12:45, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हारै कवि-जूण री
सै सूं सांतरी कविता नैं
सरायी बां
आपरी पारखी टीप सूं-
'बड़ा बातेरी हो...!'
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader