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अर्को चिठ्ठी पठाउनुहोला / केवलपुरे किसान
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02:41, 12 जुलाई 2017
दिउँसो लाको छिट्को टालो राति पनि फुकाल्छु ओढ्नलाई
यतातिर सन्चै छौं हामी कैले केही नहोस् है हजुरलाई
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Sirjanbindu
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