1,281 bytes added,
10:37, 13 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
बड़े होटल में जाकर चमचमाती शाम लिख लेना।
तरक्की की इबारत में हमारा नाम लिख लेना।
ज़रूरत पड़ गयी तो एक दिन हम बेचकर खुद को,
चुका देगें बहुत जल्दी नमक का दाम लिख लेना।
हमारी छान पर कोई मकाँ नम्बर नहीं होता,
तुम्हें आसान होगा बस हमें बेनाम लिख लेना।
हमारी लाश का सौदा अगर हो जाय अच्छे से,
तो फ़ाइल बंद करके फिर हमें गुमनाम लिख लेना।
जहाँ पर दफ़्न करना या जहाँ पर फूँकना हमको,
वहीं अल्लाह लिख लेना, वहीं पर राम लिख लेना।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader