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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
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<poem>
प्यार रिश्ता हो न हो, पर धर्म है, ईमान है।
कीजिए महसूस तो हर सिम्त वो भगवान है।

चुक गयी हिम्मत तो कितनी दूर चल पायेंगे आप,
हौसला हो दिल में तो हर रास्ता आसान है।

सोचकर हो प्यार तो कुछ क्षोभ, कुछ संताप हो,
ख़ुदबखुद जो हो गया वो मान लो वरदान है।

प्यार में डूबा हो दिल या दिल भरा हो प्यार से,
उम्र के अंतिम क्षणों तक बस यही अरमान है।

</poem>
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