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09:51, 19 अगस्त 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
गर जा रहे हैं आप तो कुछ कहके जाइये।
मेरे भी दिल का दर्द मगर सुनके जाइये।
आसूँ बहुत नये हैं अभी तर हवा चले,
ऐसी फजा में आप जरा थमके जाइये।
वादे न हों तो ना सही, यादें तो हों सजी,
कुछ चाहतें ज़रूर आप रखके जाइये।
मैं खुश हूँ मेरी आँख पे न जाइये जनाब,
बस, एक इल्तिजा़ है मगर हँसके जाइये।
</poem>
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