600 bytes added,
15:40, 20 अगस्त 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatChhattisgarhiRachna}}
<poem>
करिया बदरा आकाध म संगी,
आपन मन के आथे।
भुईंयाँ हमर उजर गीस काय,
ओखर बर भाग जाथे।
बड़ दिन ले ऐ खेल देख के,
मोर मन हर डराथे।
खेत-खार हवे सुख्खा भांठा,
मोला रोना आथे।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader