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कौन / मोहन राणा

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कोई नहीं सुन पाता मुझे
 
 
 
उसमें कोई किसी का नहीं सुनता
 
पहला शब्द इस जीवन का जो याद मुझे अब तक
 
जैसे वो हो मेरी अस्मिता
 
तो मैं लिखता हूँ यह कि कोई पढ़े
 
कौन
 
 
11.6.2002
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