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मापदण्ड सब अलग-अलग हैं दुनिया बड़ी सयानी।सयानी
वो बोले तो वेदवाक्य, मैं बोलूँ तो अज्ञानी।
एक हमारी पीड़ा है, पर अलग-अलग पैमाना,
उसका रोना ख़ून का रोना, मेरा रोना पानी।
लोगों को वश में करने का उसे तरीका आता,
वो जादूगर जब चाहे तो आग से निकले पानी।
मैं ग़रीब हूँ घर जाऊँ तो बीवी मुँह बिचकाये,
वो अमीर चलता है तो सौ जन करते अगुआनी।
</poem>
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