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|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMahilaRachnakaar}}<poem>पिछली कई रातों की नदी में
तैरती है नींद की मछलियाँ
कुतरे हुए जाल लिए
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