Changes

इन्तजार / अर्चना कुमारी

728 bytes added, 12:27, 26 अगस्त 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह=प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMahilaRachnakaar}}
<poem>
आसमान की तरफ नजर उठाओ
तो जेहन खन खन बजता है
घनघनाती है बेसुरी सांसे
लफ्ज नहीं बुदबुदाते
मोड़कर पलकें
जमीं की ओर
लौट आती हैं आंखें

इंतजार अंतहीन हुआ करता है।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,957
edits