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08:09, 27 अगस्त 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
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<poem>
फांस सी चुभन कोई
और सवाल कितने बेरहम
कि जबाब हुए कील से
और शब्द-शब्द एक सितम
प्रीत गर राधा हुई
कृष्ण बनेंगे प्रियतम
खंजरों की नोक पे
शहद की एक परत चढ़ी
बिन पिया के ही सखी
प्रीतिमय ज़िन्दगी रंगी रही।
</poem>
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