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एक कश / रामनरेश पाठक

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|संग्रह=अपूर्वा / रामनरेश पाठक
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<poem>
एक कश सिगरेट,
चाय की एक चुसकी,
आकाश पर तराशा हुआ चाँद,
धुली मेक-अप में तारिकाएं,
तुम और तुम्हारे जिस्म की
गरम गरम फ्लेवर,
दिसंबर की सांझ चूमती-सी!

तुम्हारी छातियों पर बने हुए कोण
गोरे चौड़े माथे पर का त्रिभुज,
कजरारी घनी बरौनियों के बीच बसा बिंदु,
काली अलको के बीच की सुनी समानान्तर रेखाएँ,
कमर से पाँव तक का गदराया लम्ब,

इयूकिलड के सिद्धांत, ज्योमेट्री, क़िताबें
दिसंबर की साँझ छिलती-सी

अस्पताल की ’स्टार सिगरेट’-सी नर्सें,
वार क्वालिटी मिक्स्चर्स,
मेरी छाती में रेंगते हुये टी.बी. के कीड़े,
गुदामों में सड़ती दवाईयाँ,
आँखों के आगे फैलती सी राख,
तुम और तुम्हारे जिस्म की गरम-गरम फ्लेवर,
चाय की चुसकी, उँगलियों का क्यूटेक्स
सिनेमा के पोस्टर सा आकाश,
एक कश सिगरेट
दिसम्बर की साँझ लुटती-सी
</poem>
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