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कल के लिए
हमारे लिए
 
हमारे देश में
लोग मेरे दोस्त के बारे में
बहुत बातें करते हैं
 
कैसे वह गया और फ़िर नहीं लौटा
कैसे उसने अपनी जवानी खो दी
गोलियों की बौछारों ने
उसके चेहरे और छाती को बींध डाला
 
बस और मत कहना
मैंने उसका घाव देखा है
मैंने उसका असर देखा है
कितना बड़ा था वह घाव
 
मैं हमारे दूसरे बच्चों के बारे में सोच रहा हूँ
और हर उस औरत के बारे में
जो बच्चा गाड़ी लेकर चल रही है
 
दोस्तों, यह मत पूछो वह कब आएगा
बस यही पूछो
कि लोग कब उठेंगे
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रामकृष्ण पाण्डेय'''
</poem>
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