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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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<poem>
पिता की दवा
भाइयों की फीस
मेरी फटी लुगरी
सबको दरकिनार कर
सज गयी
स्वच्छन्दचारिणी
पर निकल आया
बेच दी लोकलाज
खंजर उतर गये
कटूक्तियों के
एक साथ
कई उसके
कोमल लघु
प्राण में
</poem>