'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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<poem>
भूख के समक्ष
बड़े-बड़े वीरों ने
घुटने टेक दिये
तो कमलिया
और करमू की
क्या बिसात?
फिर तो
गुलाबों की
आजादी बढ़ी
और
समझौते का
नया अध्याय
खुला
</poem>