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इज़्ज़तपुरम्-41 / डी. एम. मिश्र

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<poem>
दुनिया के
एक बड़े
क्षेंत्रफल में जमी है
फिसलन भरी
बदबूदार घनी मैली
काई
जहाँ
नमी इकट्ठी हो
और पर्त मोटी

और सदाशयता के
मार्ग हों बंद
</poem>
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