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इज़्ज़तपुरम्-76 / डी. एम. मिश्र

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<poem>
बार-बार ठंडी
और फिर-फिर गरमाकर
परोसी गयी
होटल की
जूठी चीज
शानदार
और घर के चौके की
तरोताजी फीकी

चीज सेहतगंद
घरवाली तिरस्कृत
मुँह मारते चटोर
चटपटी के चक्कर में
</poem>
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