{{KKCatKavita}}
<poem>
अपनी खुशी न देखकरकोई कहता-जो देखेजीवन है फूलों की तरहखिलता है, जनमुरझाता हैझड़ जाता है।कोई कहता है-जन जीवन है बच्चों की खुशीतरहगिरता है, उठ जाता हैरोता है, फिर हँसता है।कोई कहता है-जीवन तो वही है मेघों की तरहझरता है, सुख पाता है।कोई कहता है-जीवन है !सूरज की तरहजले शत बारप्रीत में जलता है, अपनी सजनी से मिलने कोविरह् पंथ पर शिकायत न आये अधरों परचलता है,तपता है।हँसता रहेकोई कहता -जीवन तो वही जीवन है ।सरिता की तरहहृदय मस्ती में पीड़ा को दबायेगाता है,आकांक्षाओं को छुपायेसंगीत उड़ाता हैफिर सागर में मिलकर,वह मृत्यु को सुखद बनाता है।जो जलेपर मेरी नजरों मेंयह जीवन तो वही जीवन , केवल समझौता है ।बस समझौता है।एक पल चूके तो जीवन बस एक सरोता है।
</poem>