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अग्निपरीक्षा / निधि सक्सेना

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<poem>
हाँ सीता ने दी थी अग्निपरीक्षा
परंतु तुम सीता का उदाहरण ले कर
अग्नि में मत कूदती फिरना

सीता ने जिसके लिए अग्नि में प्रवेश किया
वे राम थे
प्रेम के पुंज
संवेदनाओं के सागर
मर्यादा में पुरुषोत्तम
वे घर्म की स्थापना के लिए अवतरित हुए थे

राम सुनिश्चित थे
कि अग्नि शीतल है
सीता आश्वस्त थीं
कि सम्मुख राम हैं

तुम्हें जब परीक्षायें देनी पड़े
तो पहले परीक्षा लेने वाले के व्यक्तित्व का
वास्तविक परिचय लेना
उसके चरित्र के सारे अवयव जांच लेना

और अगर वो तुम्हारे योग्य न हो
तो हर परीक्षा को स्वाहा कर
अपना स्वाभिमान ओढ़ कर चली आना

सीता के नाम पर तुम परीक्षाओं की अग्नि में कूदो
ये सीता को कभी स्वीकार्य न होगा.
</poem>
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