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12:20, 16 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नील्स फर्लिन
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}}
<Poem>
वह ईश्वर, जो रहता है ऊंचाई पर,
दिया उसने तुम्हें दुखी हृदय
और उसपर दे दी व्यग्र आँखें
--- अतः हैं चिंताएं सक्रीय!
तुम्हारी टूटन और तुम्हारा दर्द
कुछ बेहतर होते, मेरे भाई, मिलता तुमें अगर
कुछ और आकर्षक हृदय
और एक अधिक सार्वभौम नज़र.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
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