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08:45, 17 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर
|संग्रह=
}}
<Poem>
अन्त्येष्टियाँ आ रही है
करीब और करीब
ठीक रास्तों पर मिलने वाले संकेतों की तरह
जब इंसान निकट पहुँच रहा हो किसी एक शहर के.
हजारों लोगों की आँखें तकती
उस लम्बी छायायों की भूमि में.
एक सेतु निर्मित होता है स्वयं
धीरे धीरे
सीधे अंतरिक्ष से.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
</poem>
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