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तुम जब
जानना चाहते हो
मेरी उम्र की ऊंचाईऊँचाई
पूछ बैठते हो
किस तरह, इतने बसंत ???
कहता हूँ
तुम्हारी धारणाओं के अनुपात मे, सरकार
तुम्हारी जिह्वा के स्वादानुसार... ... .... !!
</poem>
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