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कृष्ण / सुरेश चंद्रा
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07:56, 20 अक्टूबर 2017
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बांसुरी
बाँसुरी
के रंध्रों से
बहने दो स्वर
रेशा-रेशा मुक्त कर दो
कृष्ण !
बचा, रचा-बसा
रहने दो
मुझमे
मुझमें
, केवलतन्मय धुन का उत्सव
.
</poem>
Anupama Pathak
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