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इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का / जिगर मुरादाबादी
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05:10, 23 अक्टूबर 2017
आज एक सितमगर<ref>अत्याचारी</ref> को हँस-हँस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना
तो
ही
समझ लीजे
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
Abhishek Amber
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