गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मैं दुश्मन की छाया से लड़ रहा था / विश्वनाथ प्रताप सिंह
1 byte removed
,
05:29, 27 नवम्बर 2017
{{KKCatKavita}}
<poem>
कैसे भी वार करूं
उसका सर धड़ से अलग नहीं
होता था
Kumar mukul
765
edits