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05:12, 3 दिसम्बर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
|अनुवादक=
|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
}}
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<poem>
बरसते तुम
बरसते जैसे
अम्बर से
कभी पानी-
कभी आग
पुलकित धरती का रोम-रोम
हो जाता हरियल कभी
कभी झुलसा देते
सारी की सारी
खड़ी फसल।
</poem>
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