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05:26, 3 दिसम्बर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
|अनुवादक=
|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
}}
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<poem>
पुराने खंडहर के
दबे पड़े संगीत में
शामिल सिसकियों की तरह।
अचानक टूट गये खिलौने की
खिसियानी हंसी में
शामिल आंसुओं की तरह।
मुझमें शामिल है कविता
और कविता में तुम।
</poem>
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